जिन्दगी
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पल बरमें जिन्दगी पलट जाती है अरमानोंकी मंजिल टूट जाते है खिलता हुआ चहरा बिकर जाते है होटोंके मुसकान चीन जाती है किस्मत का नज़ारा यूँ बदल जाता है हाथोंके लकीरे मिटते चला जाता है अपनासा बदन राख बनजाता है खुशियोंका दामन चूर होजाता है पाँवतले जमीन यूँ पिसल जाती है कांच की तरह दिल टूट जाता है चाहे देश की नेता हो या करोड़ोंका मालिक विधाथा के सामने सबी जुख जाते है कमोशी जहाँमे जब खो जाते है कलका क्या बरोसा हे मेरे दोस्त आज है, अबी है.. इस पल में जियो क्योंकी...................... पल बर में जिन्दगी पलट जाती है पल बर में जिन्दगी पलट जाती है