कभी कभी ....
कभी कभी चलते राह मे मुड़कर बी तो देख
कभी कभी राहोंमे मे अपनी निशान बनाके बी तो देख
मन्ज़िल कभी न कभी तो मिल जाएगा
कभी कभी नज़ारों पे नज़र फैला के तो देख
वक़्त को कोई रोख नही सकता
सपनो को कोई चुरा नही सकता
सब कुछ सबको नही मिलता यहाँ
जो मिलगया उसी को किस्मत बनाके तो देख
सरहद दिलोंको थोड़ नही सकता
आसमां पे लकीर खींच नही सकता
खुद के लिए बहुत कुछ जोड़ लिया तुमने
दूसरों को बी कबी कुछ देखर के तो देख
कुछ न लाया हम ने कुछ न लेकर जाएंगे
जिंदगी बस यहीं है उसे जीबर के जीकर तो देख
जाने से पहले अपनी पहचान बनाकर तो देख
राहोंमे मे अपनी निशान बना के तो देख
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