फिर काहेका सोंच....
















अब प्यार कि इस हद से गुज़र गये हम
न मिलने के खुशी....  न बिछड़ने का ग़म

अब ज़िन्दगी के इस मोड पे पहुँच गये हम
न आगे का सोंच .... न अतीत का शोक

जब प्यार बने ज़िन्दगी..... क्या खुशी क्या ग़म
 

जब ज़िन्दगी है प्यार से ......फिर काहेका सोंच....फिर काहेका शोक

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