लगता नहीं दिल कही...
लंबी लग रहे दिन
सूनी होगये रात
कैसे मै तुझसे कहूँ
लगता नहीं दिल कही...
बिन तेरे साथ
एक आलम वह बी था
एक आलम यह बी है
बारिश से बीगा ज़मीन
जब था तेरे साथ
रूखी सूखी रेत बनगये
जब से छूटा तेरे साथ
अब तो न बादल हैं
न बरस ने के मौसम है
फिर बी ढूंढ थी है मेरी नयना
हर पल बस तेरा ही साथ
तुज से मेरी ज़िन्दगी है
तुझ से मेरी दिन रात
आज़ाओ अब तो जानम
टूट न जाये मेरी ये सांस
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