क्यों
क्यों बेमतलब से ...
ये दिल तेरा साथ दूंडते है
क्यों बेमतलब से ....
ये नज़र तेरा रास्ता देकते है
तडपती ये दिल ...
तरसती ये निगाहें...
क्यों बार बार कल को बुलाते है
पल जो बीतगया कबी न आये
तेरे सात जो छूटा कबी न पाये ..
फिर...
क्यों बेमतलब से ..
ये जिन्दगी तेरे यादों में बटकती है
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