दिल न समज पाये



न जाने किस रास्ते से आकर

दिल की गली में तू बस जाते हो


न जाने किन ख़याल बनकर

मन की नगर में तू छा जाते हो



कबी तू आंखोमे चाँद तारे बन जाते हो

कबी तू होटोंपे मुसकराहट बन जाते हो



कबी तू खानों मे नगमा बन जाते हो   

कबी तू सांसोंमे कुशबू बन जाते हो



न ददकन का हिसाब है

न पलों का किस्सा.....
बस अब तो है हर जगाह तुम्हारा ही इस्सा


पागल है ये दिल
ये न समज पाये


तेरे यादों से जब  ये असर हो रहा है ....

क्यों तुजे पानेका ये ....कोशिश कररहा है 


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